Monday, December 10, 2018

अस्थमा और रिस्पायरेटरी सिस्टम की विकृति और आयुर्वेदिक आयुष उपचार R.T....





अस्थमा और रिस्पायरेटरी सिस्टम से सम्बंधित बहुत सी व्याधियां है जिनका उपकार न करने से जीवन के लिए खतरा बन जाने वाली सांस से सम्बंधित तकलीफे

 पैदा हो जाती है / इन तकलीफों मे नाक का बंद हो जाना सांस लेने और बाहर निकालने में समस्या , नाक के अंदर एलर्जी होकर सूजन हो जाना  और नाक द्वारा सांस न ले पाने की शिकायत , गले की अंदरूनी खराश , खांसी, विकट  खांसी , ऐसी खांसी जो दिन रात चैन न लेने दे , बढे हुए टांसिल्स , पके हुए टांसिल्स, बार बार गला खराब होना , लेरिन्जाइटिस , फैरिन्जाइटिस , ट्राइकियल इन्फ्लेमेशन , फेफड़ों  में  आ गयी खराबियाँ , सांस की नाली की सूजन आदि तमाम तरह की बीमारिया घर कर लेती है / 

स्तिथि तब और अधिक खराब होती है जब इन सभी बीमारियों का ठीक से निदान न हो पाए और बिमारी का सही निदान न होने के कारण जब इलाज की दिशा भी गलत साबित हो , तब यह स्तिथि मरीज के लिए बहुत खतरनाक सिद्ध हो जाती है / 

ऐसी सभी बीमारियों का इलाज आयुर्वेद और आयुष चिकित्सा  में संभव है।  आयुर्वेद की आधुनिक निदान ज्ञान  की तकनीक ई ० टी ० जी ० आयुर्वेदास्कैन द्वारा जांच करने और आयुर्वेद के मूत्र तथा रक्त परिक्षण करने से प्राप्त रिजल्ट और अन्य परीक्षणों के द्वारा रोग का सही निदान होने के पश्चात आयुर्वेद और होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा करने से सभी तरह की सांस से सम्बंधित रोग अवश्य ठीक होते है /

प्रस्तुत वीडियो में इसी के बारे में चर्चा  की गयी है / वीडियो सुनिए और जानिये उपचार का तरीका /

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Dr D.B.Bajpai
Dr A.B.Bajpai
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